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बीए सेमेस्टर-2 मनोविज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2721
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 मनोविज्ञान - सरब प्रश्नोत्तर

प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिये।

अथवा
मनोवैज्ञानिक मापन किसे कहते हैं? मनोवैज्ञानिक मापन की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए इनके उपयोग पर भी प्रकाश डालिये।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. वर्गीकृत मापनी को परिभाषित कीजिये।
2. नामिक एवं क्रमिक मापनी से आप क्या समझते हैं?..
3. अन्तराल मापनी से आपका क्या आशय है?
4. अनुपात मापनी का उपयोग किन-किन सांख्यिकीय प्रयोगों में किया जाता है?
5. अन्तराल स्तर तथा अनुपात स्तर मापनी पर टिप्पणी लिखिये।
6. मापन के स्तर बताइये।

उत्तर -

मनोवैज्ञानिक मापन में विभिन्न प्रदत्तों को चार स्तरों के अन्तर्गत रखा जाता है। विषय सामग्री भौतिक हो या सामाजिक अथवा मनोवैज्ञानिक उसका मापन कई प्रकार से हो सकता है। व्यवहारपरक विज्ञानों में स्टीवेंस (Stevens 1951) ने मापन के चार स्तरों का वर्णन किया है। मापन की परिशुद्धता उसके मापन स्तर तथा वैज्ञानिकता को दृष्टि में रखते हुए मापन के चार स्तर या मापनियों का प्रयोग किया जाता है जो निम्नलिखित है-

1. नाभिक या वर्गीकृत मापनी (Nominal or Classificatory Scale) - इस प्रकार की मापनियों को शाब्दिक मापनी या नाभात्मक मापनी भी कहा जाता है। मनोवैज्ञानिक मापन का यह सबसे निम्न स्तर है। मापन की इस सरलतम मापनी में वस्तुओं अथवा घटनाओं को किसी गुण या विशेषता के आधार पर अलग-अलग समूहों में रख दिया जाता है तथा प्रत्येक व्यक्ति या समूह की पहचान के लिए उसे कोई अमुक नाम (name), संख्या (number) या चिन्ह (code) दे दिया जाता है, एक समूह में शामिल समस्त पदार्थ आपस में समान तथा अन्य समूह के प्रत्येक पदार्थ से भिन्न होते हैं उदाहरणार्थ, फुटबाल की टीम में खिलाड़ियों की जर्सी पर नम्बर अंकित करना जिनसे उन अंकों के द्वारा खिलाड़ियों को पहचाना जा सके। इसी प्रकार व्यक्तियों को लिंग के आधार पर स्त्रियों तथा पुरुषों में, रंग के आधार पर काले तथा गोरे में, निवास के आधार पर शहरी-ग्रामीण में, पेशे के आधार पर व्यापारी तथा नौकर आदि वर्गों में विभक्त किया जा सकता है। इस प्रकार के मापन में केवल गणना ही सम्भव है। इस विधि में प्रायः बारम्बारता (Frequency), प्रतिशत (Percentage), अनुपात (Proportion), बहुलांक (Mode) आदि आप्राचलिक (Non-paramatric) सांख्यिकीय विधियों का प्रयोग किया जाता है। व्यवहारपरक विज्ञानों में अधिकांशतः नाभिक या वर्गीकृत मापनी का ही प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए स्त्री-पुरुष, विवाहित, अविवाहित, उत्तीर्ण, अनुत्तीर्ण, सफल, असफल आदि वर्ग के इस प्रकार के -मापन के लिए प्रयुक्त होते हैं तथा बारम्बारता की सांख्यिकीय गणना के लिए काई स्क्वायर परीक्षण (chi square test) का प्रयोग किया जाता है।

2. क्रमिक मापनी (Ordinal Scale) - शाब्दिक स्तर से एक सोपान ऊपर क्रमिक स्तर जिसमें अंक क्रमों को इंगित करते हैं। इस स्तर के मापन में व्यक्तियों, वस्तुओं, घटनाओं, विशेषताओं या प्रतिक्रियाओं को किसी गुण या लक्षण के आधार पर उच्चतम से निम्नतम के क्रम में व्यवस्थित किया जाता है। उदाहरणार्थ, जब हम किसी कॉलेज की अमुक कक्षा के छात्रों को परीक्षा प्राप्तांकों के आधार पर प्रथम, द्वितीय, तृतीय आदि क्रम देते हैं, खिलाड़ियों को पुरस्कार प्रदान करते हैं, प्रार्थियों को रोजगार देते हैं, घुड़दौड़ करवाते हैं, सुन्दरता के आधार पर मिस इण्डिया या मिस वर्ल्ड का चयन करते हैं, किसी समूह समें व्यक्तियों को सम्मान देते हैं आदि स्थितियों में क्रमिक स्तर मापनी का प्रयोग करते हैं इस प्रकार व्यवसाय, प्रतिष्ठा, वेतन आदि के आधार पर भी व्यक्तियों को क्रमित किया जाता है इस प्रकार के मापन के द्वारा मापी गयी विशेषताओं के सम्बन्ध में विस्तृत और सूक्ष्म जानकारी प्राप्त होती है तथा साथ ही साथ मापी गयी विशेषताओं के पारस्परिक सम्बन्धों की विशेषताओं का भी ज्ञान प्राप्त होता है इस प्रकार की मापनी विधियों में कुछ प्रमुख विधियाँ निम्नलिखित हैं -

(i) श्रेणी मूल्यांकन विधि (Rating Scale Method)
(ii) युग्मित तुलना विधि (Paired Comparison method)
(iii) पदांक विधि (Rank order method)
(iv) क्रमित वर्गों की विधि (Successive categories method)

इस प्रकार की मापनियाँ नाभिक या वर्गीकृत मापनियों की अपेक्षा अधिक उच्च स्तर की होती है। इस प्रकार के मापन में व्यक्तियों, वस्तुओं, घटनाओं और विशेषताओं आदि को किसी गुण के आधार पर निम्नतम से उच्चतम के क्रम में या उच्चतम से निम्नतम के क्रम में व्यवस्थित किया जाता है। फिर प्रत्येक व्यक्ति, वस्तु, घटना या विशेषता को एक विशेष क्रम सूचक अंक दिया जाता है। क्रमिक मापनियों से प्राप्त आंकड़ों का सांख्यिकीय विश्लेषण करने के लिए मध्यांक (Medium), शतांशीय मान (Percentile), कोटि अन्तर सहसम्बन्ध (Rank difference Co-relation) आदि विधियों का प्रयोग किया जाता है।

3. अन्तराल स्तर या मापनी (Interval level or Scale) - मापन के तृतीय स्तर में क्रमिक स्तर की समस्त विशेषताएँ निहित हैं। इसमें दो वस्तुओं, व्यक्तियों या वर्गों के मध्य की दूरी या अन्तर को अंकों के माध्यम से ज्ञात किया जाता है तथा प्रत्येक अंक का अन्तर या दूरी सम होती है किन्तु इसमें यह ज्ञात नहीं होता कि उसमें से कोई भी अंक शून्य से कितनी दूर है क्योंकि इसमें वास्तविक शून्य बिन्दु (exact zero point) नहीं पाया जाता है। अतएव सम दूरी पर व्यवस्थित अंक ही इस मापनी की स्थिर इकाई है। इसकी गणितीय संक्रियाओं में हम केवल अंकों को जोड़ तथा घटा सकते हैं। इसकी सबसे प्रमुख कमी यह है कि इसमें वास्तविक मूल्य बिन्दु नहीं होता अतः इस मापनी द्वारा सापेक्षिक मापन (relative measurement) तो सम्भव है निरपेक्ष (absolute) मापन नहीं। यह सत्य हो सकता है कि एक छात्र किसी परीक्षण में शून्य प्राप्तांक हासिल करता है, इससे यह अभिप्राय नहीं कि वह छात्र उस विषय में कुछ भी ज्ञान नहीं रखता है। इस स्तर के मापन का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण थर्मामीटर है। मानव शरीर का तापक्रम (temperature) मापने हेतु जिस थर्मामीटर का उपयोग करते हैं उसमें 94° से 108° तक अंकित होते हैं यहाँ 98° से 99° के मध्य जितनी दूरी है उतनी ही दूरी 107° से 108° के मध्य पायी जाती है, क्योंकि अन्तराल मापनी की प्रत्येक इकाई समान दूरी पर है। थर्मामीटर से ज्वर नापने पर यदि हम पारे को 95 पर ही पाते हैं तो यह माना जाता है कि शरीर के भीतर तापक्रम का सर्वथा अभाव है। वर्ष, महीना, सप्ताह, घण्टा, मिनट आदि भी अन्तराल मापनी के उदाहरण हैं। अन्तराल मापन से प्राप्त आंकड़ों का सांख्यिकीय विश्लेषण करने के लिए मध्यमान (Mean) प्रामाणिक विचलन (Standard Deviation), पियर्सन आर (Pearson R) तथा F परीक्षण का प्रयोग किया जाता है। ये सभी सांख्यिकीय विधियाँ प्राचल सांख्यिकी (Parametric Statistics) हैं।

4. अनुपात मापनी (Ratio Scale) - भौतिक तथा मनोवैज्ञानिक मापन की अन्तिम या सर्वोच्च स्तर मापनी अनुपात मापनी है। यह मापनी अन्य मापनियों की अपेक्षा श्रेष्ठ, उच्चस्तरीय तथा वैज्ञानिक समझी जाती है। इसमें अन्तराल मापनी की समस्त विशेषताओं के साथ-साथ एक सत्य शून्य बिन्दु विद्यमान रहता है जो अन्य किसी भी मापनी में नहीं होता है। इसलिये इसे अन्तराल मापनी से भी अधिक श्रेष्ठ समझा जाता है अनुपात मापनी में वास्तविक शून्य बिन्दु (true zero point) कोई कल्पित, बिन्दु नहीं होता बल्कि इसका आशय किसी शीलगुण या विशेषता की शून्य मात्रा से है। भौतिक मापन में अनेक उदाहरण ऐसे हैं जहाँ कि निरपेक्ष शून्य बिन्दु पाया जाता है जैसे - मीटर, मिलीमीटर, किलोमीटर, लीटर, ग्राम आदि। जब हम कपड़े की लम्बाई, वस्तुओं का भार या स्थानों की दूरी का माप करते हैं, ऐसी स्थिति में शून्य बिन्दु से ही प्रारम्भ किया जाता है जहाँ कि लम्बाई, भार या दूरी का अपना कोई अस्तित्व नहीं होता। वास्तव में शून्य इंच की लम्बाई या शून्य किलोमीटर की दूरी कोई लम्बाई या दूरी नहीं होते, इसलिये अनुपात मापनी में वास्तविक शून्य बिन्दु को ही मापनी का प्रारम्भिक बिन्दु माना जाता है। ऐसा होने के कारण ही हम दो विभिन्न दूरी के स्थानों में अनुपात का पता लगा लेते हैं और है निश्चित रूप से कह सकते हैं कि 'अ' स्थान 'ब' स्थान से आधी, दुगुनी या तिगुनी दूरी पर है इसी प्रकार यदि किसी गुण विशेष की मात्रा के आधार पर राखी, शशि तथा विभा को 15, 30 तथा 60 प्राप्तांक प्रदान किये जायें तो इस मापनी के अनुसार यह अर्थ होगा कि राखी के अन्दर वह गुण जिस मात्रा में विद्यमान है शशि में उसकी दुगुनी मात्रा में है तथा विभा में चौगुनी मात्रा में पाया जाता है अतः इस मापनी की प्रत्येक इकाई की दी गयी संख्या मापित गुण की विभिन्न मात्राओं के मध्य अनुपात को प्रकट करती है इसमें गणितीय संक्रियाओं के प्रयोग की कोई निश्चित सीमा न होकर समस्त संक्रियाओं - गुणा, जोड़, भाग, घटाने का प्रयोग किया जाता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- मापन के प्रमुख कार्यों का उल्लेख कीजिए।
  2. प्रश्न- मापनी से आपका क्या तात्पर्य है? मापनी की प्रमुख विधियों का उल्लेख कीजिये।
  3. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिये।
  4. प्रश्न- मापन का अर्थ एवं परिभाषा बताते हुए इसकी प्रमुख समस्याओं का उल्लेख कीजिए।'
  5. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन को स्पष्ट करते हुए मापन के गुणों का उल्लेख कीजिए तथा मनोवैज्ञानिक मापन एवं भौतिक मापन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  6. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  7. प्रश्न- मापन की जीवन में नितान्त आवश्यकता है, इस कथन की पुष्टि कीजिए।
  8. प्रश्न- मापन के महत्व पर अपने विचार स्पष्ट कीजिए।
  9. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  10. उत्तरमाला
  11. प्रश्न- मनोविज्ञान को विज्ञान के रूप में कैसे परिभाषित कर सकते है? स्पष्ट कीजिए।
  12. प्रश्न- प्रायोगिक विधि को परिभाषित कीजिए तथा इसके सोपानों का वर्णन कीजिए।
  13. प्रश्न- सह-सम्बन्ध से आप क्या समझते हैं? सह-सम्बन्ध के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  14. प्रश्न- अवलोकन किसे कहते हैं? अवलोकन का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा अवलोकन पद्धति की विशेषताएँ बताइए।
  15. प्रश्न- अवलोकन के प्रकारों की व्याख्या कीजिए।
  16. प्रश्न- चरों के प्रकार तथा चरों के रूपों का आपस में सम्बन्ध बताते हुए चरों के नियंत्रण पर प्रकाश डालिए।
  17. प्रश्न- परिकल्पना या उपकल्पना से आप क्या समझते हैं? परिकल्पना कितने प्रकार की होती है।
  18. प्रश्न- जनसंख्या की परिभाषा दीजिए। इसके प्रकारों का विवेचन कीजिए।
  19. प्रश्न- वैज्ञानिक प्रतिदर्श की विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।
  20. प्रश्न- सह-सम्बन्ध गुणांक के निर्धारक बताइये तथा इसका महत्व बताइये।
  21. प्रश्न- उपकल्पनाएँ कितनी प्रकार की होती हैं?
  22. प्रश्न- अवलोकन का महत्व बताइए।
  23. प्रश्न- पक्षपात पूर्ण प्रतिदर्श क्या है? इसके क्या कारण होते हैं?
  24. प्रश्न- प्रतिदर्श या प्रतिचयन के उद्देश्य बताइये।
  25. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  26. उत्तरमाला
  27. प्रश्न- वर्णनात्मक सांख्यिकीय से आप क्या समझते हैं? इस विधि का व्यवहारिक जीवन में क्या महत्व है? समझाइए।
  28. प्रश्न- मध्यमान से आप क्या समझते हैं? इसके गुण-दोषों तथा उपयोग की विवेचना कीजिये।
  29. प्रश्न- मध्यांक की परिभाषा दीजिये। इसके गुण-दोषों की विवेचना कीजिये।
  30. प्रश्न- बहुलांक से आप क्या समझते हैं? इसके गुण-दोष तथा उपयोग की विवेचना करें।
  31. प्रश्न- चतुर्थांक विचलन से आप क्या समझते हैं? इसके गुण-दोषों की व्याख्या करें।
  32. प्रश्न- मानक विचलन से आप क्या समझते है? मानक विचलन की गणना के सोपान बताइए।
  33. प्रश्न- रेखाचित्र के अर्थ को स्पष्ट करते हुए उसके महत्व, सीमाएँ एवं विशेषताओं का भी उल्लेख कीजिए।
  34. प्रश्न- आवृत्ति बहुभुज के अर्थ को स्पष्ट करते हुए रेखाचित्र की सहायता से इसके महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- संचयी प्रतिशत वक्र या तोरण किसे कहते हैं? इससे क्या लाभ है? उदाहरण की सहायता से इसकी पद रचना समझाइए।
  36. प्रश्न- केन्द्रीय प्रवृत्ति के माप से क्या समझते हैं?
  37. प्रश्न- केन्द्रीय प्रवृत्ति के उद्देश्य बताइए।
  38. प्रश्न- मध्यांक की गणना कीजिए।
  39. प्रश्न- मध्यांक की गणना कीजिए।
  40. प्रश्न- विचलनशीलता का अर्थ बताइए।
  41. प्रश्न- प्रसार से आप क्या समझते हैं?
  42. प्रश्न- प्रसरण से आप क्या समझते हैं?
  43. प्रश्न- विचलन गुणांक की संक्षिप्त व्याख्या करें।
  44. प्रश्न- आवृत्ति बहुभुज और स्तम्भाकृति में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  45. प्रश्न- तोरण वक्र और संचयी आवृत्ति वक्र में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  46. प्रश्न- स्तम्भाकृति (Histogram) और स्तम्भ रेखाचित्र (Bar Diagram) में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  47. प्रश्न- स्तम्भ रेखाचित्र (Bar Diagram) किसे कहते हैं?
  48. प्रश्न- निम्नलिखित व्यवस्थित प्राप्तांकों के मध्यांक की गणना कीजिए।
  49. प्रश्न- निम्नलिखित व्यवस्थित प्राप्तांकों के बहुलांक की गणना कीजिए।
  50. प्रश्न- निम्नलिखित व्यवस्थित प्राप्तांकों के मध्यमान की गणना कीजिए।
  51. प्रश्न- निम्न आँकड़ों से माध्यिका ज्ञात कीजिए :
  52. प्रश्न- निम्नलिखित आँकड़ों का मध्यमान ज्ञात कीजिए :
  53. प्रश्न- अग्रलिखित आँकड़ों से मध्यमान ज्ञात कीजिए।
  54. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  55. उत्तरमाला
  56. प्रश्न- सामान्य संभावना वक्र से क्या समझते हैं? इसके स्वरूप का वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- कुकुदता से आप क्या समझते हैं? यह वैषम्य से कैसे भिन्न है?
  58. प्रश्न- सामान्य संभावना वक्र के उपयोग बताइये।
  59. प्रश्न- एक प्रसामान्य वितरण का मध्यमान 16 है तथा मानक विचलन 4 है। यह बताइये कि मध्य 75% केसेज किन सीमाओं के मध्य होंगे?
  60. प्रश्न- किसी वितरण से सम्बन्धित सूचनायें निम्नलिखित हैं :-माध्य = 11.35, प्रमाप विचलन = 3.03, N = 120 । वितरण में प्रसामान्यता की कल्पना करते हुए बताइये कि प्रप्तांक 9 तथा 17 के बीच कितने प्रतिशत केसेज पड़ते हैं?-
  61. प्रश्न- 'टी' परीक्षण क्या है? इसका प्रयोग हम क्यों करते हैं?
  62. प्रश्न- निम्नलिखित समूहों के आँकड़ों से टी-टेस्ट की गणना कीजिए और बताइये कि परिणाम अमान्य परिकल्पना का खण्डन करते हैं या नहीं -
  63. प्रश्न- सामान्य संभाव्यता वक्र की विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।
  64. प्रश्न- एक वितरण का मध्यमान 40 तथा SD 3.42 है। गणना के आधार पर बताइये कि 42 से 46 प्राप्तांक वाले विद्यार्थी कितने प्रतिशत होंगे?
  65. प्रश्न- प्रायिकता के प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
  66. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  67. उत्तरमाला
  68. प्रश्न- सह-सम्बन्ध से आप क्या समझते हैं? सह-सम्बन्ध के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  69. प्रश्न- सह-सम्बन्ध की गणना विधियों का वर्णन कीजिए। कोटि अंतर विधि का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
  70. प्रश्न- सह-सम्बन्ध गुणांक गणना की प्रोडक्ट मोमेन्ट विधियों का वर्णन कीजिए। कल्पित मध्यमान विधि का उदाहरण देकर वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- उदाहरण की सहायता से वास्तविक मध्यमान विधि की व्याख्या कीजिए।
  72. प्रश्न- काई वर्ग परीक्षण किसे कहते हैं?
  73. प्रश्न- सह-सम्बन्ध की दिशाएँ बताइये।
  74. प्रश्न- सह-सम्बन्ध गुणांक के निर्धारक बताइये तथा इसका महत्व बताइये।
  75. प्रश्न- जब ED2 = 36 है तथा N = 10 है तो स्पीयरमैन कोटि अंतर विधि से सह-सम्बन्ध निकालिये।
  76. प्रश्न- सह सम्बन्ध गुणांक का अर्थ क्या है?
  77. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  78. उत्तरमाला
  79. प्रश्न- परीक्षण से आप क्या समझते हैं? परीक्षण की विशेषताओं एवं प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- परीक्षण रचना के सामान्य सिद्धान्तों, विशेषताओं तथा चरणों का वर्णन कीजिये।
  81. प्रश्न- किसी परीक्षण की विश्वसनीयता से आप क्या समझते हैं? विश्वसनीयता ज्ञात करने की विधियों का वर्णन कीजिये।
  82. प्रश्न- किसी परीक्षण की वैधता से आप क्या समझते हैं? वैधता ज्ञात करने की विधियों का वर्णन कीजिये।
  83. प्रश्न- पद विश्लेषण से आप क्या समझते हैं? पद विश्लेषण के क्या उद्देश्य हैं? इसकी प्रक्रिया पर प्रकाश डालिये।
  84. प्रश्न- किसी परीक्षण की विश्वसनीयता किन रूपों में मापी जाती है? विश्वसनीयता को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिये।
  85. प्रश्न- "किसी कसौटी के साथ परीक्षण का सहसम्बन्ध ही वैधता है।" इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  86. प्रश्न- मानकीकरण से आप क्या समझते हैं? इनकी क्या विशेषतायें हैं? मानकीकरण की प्रक्रिया विधि की विवेचना कीजिये।
  87. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन एवं मनोवैज्ञानिक परीक्षण में अन्तर बताइए।
  88. प्रश्न- परीक्षण फलांकों (Test Scores) की व्याख्या से क्या तात्पर्य है?
  89. प्रश्न- परीक्षण के प्रकार बताइये।
  90. प्रश्न- पद विश्लेषण की समस्याएँ बताइये।
  91. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  92. उत्तरमाला
  93. प्रश्न- बुद्धि के अर्थ को स्पष्ट करते हुए बुद्धि के प्रकारों की व्याख्या कीजिए।
  94. प्रश्न- बिने-साइमन बुद्धि परीक्षण का सविस्तार वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- वेक्सलर बुद्धि मापनी का सविस्तार वर्णन कीजिए।
  96. प्रश्न- वेक्सलर द्वारा निर्मित बच्चों की बुद्धि मापने के लिए किन-किन मापनियों का निर्माण किया गया है? व्याख्या कीजिए।
  97. प्रश्न- कैटेल द्वारा प्रतिपादित सांस्कृतिक मुक्त परीक्षण की व्याख्या कीजिए।
  98. प्रश्न- आयु- मापदण्ड (Age Scale) एवं बिन्दु - मापदण्ड (Point Scale) में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  99. प्रश्न- बुद्धि लब्धि को कैसे ज्ञात किया जाता है?
  100. प्रश्न- बुद्धि और अभिक्षमता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  101. प्रश्न- वेक्सलर मापनियों के नैदानिक उपयोग की व्याख्या कीजिए।
  102. प्रश्न- वेक्सलर मापनी की मूल्यांकित व्याख्या कीजिए।
  103. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  104. उत्तरमाला
  105. प्रश्न- व्यक्तिगत आविष्कारिका क्या है? कैटेल द्वारा प्रतिपादित सोलह ( 16 P. F) व्यक्तित्व-कारक प्रश्नावली व्यक्तित्व मापन में किस प्रकार सहायक है?
  106. प्रश्न- प्रक्षेपण विधियाँ क्या हैं? यह किस प्रकार व्यक्तित्व माप में सहायक हैं?
  107. प्रश्न- प्रेक्षणात्मक विधियाँ (Observational methods) किसे कहते हैं?
  108. प्रश्न- व्यक्तित्व मापन में किन-किन विधियों का प्रयोग मुख्य रूप से किया जाता है?
  109. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  110. उत्तरमाला

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